हाल ही में हिमाचल प्रदेश
के पोंग डैम में रहस्यमय परिस्थितियों में लगभग 2000 प्रवासी पक्षियों ने अपनी जान गंवाई है। मृत पक्षियों में लुप्तप्रायः
बार-हेडेड गुज, ब्लैक-हेडेड गुज शामिल
हैं। अधिकतर पक्षी साइबेरिया और मंगोलिया से आये थे।
पोंग डैम में की गयी कारवाई
भारतीय वन्य जीव विभाग ने
पोंग डैम में पर्यटकों के आने पर रोक लगा दी है।
पोंग डैम के एक किलोमीटर
क्षेत्र को अलर्ट जोन जबकि उसके आगे के क्षेत्र को सर्विलेंस जोन बनाया गया है।
पोंग डैम के चारों ओर 10 किलोमीटर के क्षेत्र में किसी भी प्रकार की गतिविधि पर रोक
लगा दी गई है।
मृत पक्षियों के लगभग 20 सैंपल जालंधर और भोपाल के बरेली लैब में जांच के लिए भेजे
गए हैं।
भोपाल से आई सैंपल
रिपोर्ट में एवियन इन्फ्रलुएंजा वायरस (भ्5छ1- बर्ड फ्रलू ) के आसार लगाए जा रहे हैं।
पोंग डैम के बारें में
हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा
जिले के शिवालिक पहाडि़यों के आर्द्र भूमि पर ब्यास नदी पर बाँध बनाकर एक जलाशय का
निर्माण 1975 में किया गया था। इसे
पोंग डैम या महाराणा प्रताप सागर के नाम से जाना जाता है।
पोंग डैम का निर्माण
पनबिजली उत्पादन और सिंचाई के लिए किया गया था। वर्तमान में पोंग डैम या महाराणा
प्रताप जलाशय प्रसिद्ध वन्यजीव अभयारण्य है
रामसर सम्मेलन द्वारा
भारत में घोषित 41 अंतर्राष्ट्रीय
आर्द्रभूमि साइटों में से पोंग डैम या महाराणा प्रताप जलाशय भी शामिल है।
पोंग जलाशय हिमाचल प्रदेश
में हिमालय की तलहटी में सबसे महत्वपूर्ण मछली वाला जलाशय है। इस जलाशय में महासीर मछली अधिकता में पाई जाती है।
भारत में अन्य जगहों पर
पक्षियों की मौत
हाल ही में केरल के
पशुपालन और डेयरी विकास मंत्री के- राजू ने बताया कि बतऽों में बर्ड फ्रलू के कारण
हजारों बतऽों की मृत्यु हो गयी।
मध्यप्रदेश के इंदौर में
मृत पाए गए कई कौवों में बर्ड फ्रलू वायरस की पुष्टि हुई है।
राजस्थान के कौवों में भी
बर्ड फ्रलू वायरस की पुष्टि हुई, जिससे कई कौवों की मृत्यु
हो गयी।
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