हाल ही में राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और
प्रशिक्षण परिषद (NCERT) द्वारा सभी
राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को नए शैक्षणिक सत्र से कक्षा 1 से 10वीं तक के
छात्रों के स्कूल बैग का भार उनके शरीर के वजन के 10 प्रतिशत से अधिक नहीं होने का
निर्देश दिया गया है |
मुख्य तथ्य
निदेशालय के सर्कुलर के
अनुसार प्री-प्राइमरी स्तर के 10
से 16 किलोग्राम वजन वाले बच्चों
के लिए स्कूल बैग न ले जाने के निर्देश दिये गये हैं |
पहली और दूसरी कक्षाओं के 16 से 22 किलो वजन वाले बच्चों
के लिए स्कूल बैग अधिकतम 1.6 से 2.2 किलो रखे जाने की सीमा निर्धारित की गयी है।
तीसरी, चौथी एवं पांचवीं की
कक्षाओं के 17 से 25 किलो वजन वाले स्टूडेंट्स के लिए स्कूल बैग के भार की सीमा 1.7 से 2.5 किलो रखी गयी है।
छठीं एवं सातवीं कक्षाओं के स्टूडेंट्स की तो 20 से 30 किलो वजन वाले इन
कक्षाओं के बच्चों के लिए स्कूल बैग अधिकतम 2 से 3 तीन किलो तक की सीमा तय की गई है।
8वीं कक्षा के 25 से 40 तक वजन वाले स्टूडेंट्स के लिए स्कूल बैग के वजन की सीमा 2.5 से 4 किलो तक निर्धारित की गयी है।
सीनियर कक्षाओं में 9वीं एवं 10वीं के स्टूडेट्स के
लिए स्कूल बैग 2.5 किलो से 4.5 किलो तक और 11वीं एवं 12वीं के छात्र-छात्राओं के लिए
स्कूल
बैग 3.5 से 5 किलो तक रखा गया है |
इसके साथ ही दूसरी कक्षा तक के
विद्यार्थियों को होमवर्क नहीं दिये जाने का निर्देश
दिया गया है और कक्षा 3 से 6 के लिए साप्ताहिक 2 घंटे तक का होमवर्क, कक्षा 6 से 8 तक के लिए प्रतिदिन 1 घंटे का होमवर्क और कक्षा 9 से 12 के लिए अधिकतम 2 घंटे का होमवर्क किस सीमा तय की गयी हैं |
निर्देश के अनुसार बच्चों
के बस्ते का वजन चेक करने के लिए स्कूलों में तौल मशीन रखी जाएगी और प्रकाशकों को
किताबों के पीछे उसका वजन भी छापना होगा।
भारी स्कूल बैग की समस्या
भारी
स्कूल बैग ,कशेरुक स्तंभ और घुटनों को नुकसान पहुँचा सकता है।
भारी
बैग के कारण स्कूल की सीढ़ियां चढ़ते वक्त यह बच्चे चोटिल हो सकते हैं।
भारी
बैग शारीरिक मुद्रा को प्रभावित करती हैं
राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और
प्रशिक्षण परिषद (NCERT )
राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसन्धान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) की स्थापना भारत सरकार द्वारा 1 सितंबर, 1961 को शिक्षा से जुड़े मामलों पर केन्द्रीय सरकार एवं प्रान्तीय सरकारों को सलाह देने के उद्देश्य से स्थापित किया गया है।
NCERT का मुख्य उद्देश्य
1. स्कूली शिक्षा से संबंधित क्षेत्रों में अनुसंधान को बढ़ावा देनाएवं उसका समन्वय करना है |
2. मॉडल पाठ्यपुस्तकों, पूरक सामग्री, समाचार पत्र, पत्रिकाओं को तैयार और प्रकाशित करना है |
3. राज्य शैक्षिक विभागों, विश्वविद्यालयों, गैर सरकारी संगठनों और अन्य शैक्षिक संस्थानों के साथ नवीन शैक्षिक तकनीकों और प्रथाओं का विकास और प्रसार करना है |
Back To Top