Date : 07/01/2021 (Reading time : 5  Minutes)
सागरमाला सी-प्लेन सेवा


हल ही में बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्रालय ने चयनित मार्गों पर सागरमाला सी-प्लेन सेवा की परियोजना शुरू करने की योजना बनाई है |

मुख्य तथ्य

इस योजना को कुछ चुनिंदा मार्गों पर स्‍पेशल परपज व्‍हीकल (SPV) के तहत एअर लाइन कंपनियों के जरिये शुरू किया जाएगा |

इस प्रोजेक्ट को सागरमला विकास कंपनी लिमिटेड (SDCL) के माध्‍यम से लागू किया जाएगा यह कंपनी बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्रालय मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में कार्य करेगी ।

इस परियोजना का उद्देश्य जल निकायों के पास कई पर्यटकों, धार्मिक और दूरस्थ स्थानों तक हवाई संपर्क प्रदान करना है। अत: इस परियोजना के द्वारा देश की जीडीपी को बढ़ावा देने में योगदान मिल सकता है |

गौरतलब है कि इस परियोजना के तहत सीप्लेन सेवाएं उड़ान’ (उड़े देश का आम नागरिक) पहल के तहत संचालित की जाएगी।

सीप्‍लेन योजन के लिए कुछ महत्वपूर्ण स्थानों को चिन्हित किया गया है ,  इनमें अंडमान और निकोबार तथा लक्षद्वीप समूह, असम में गुवाहाटी रिवरफ्रंट और उमरांसों जलाशय, दिल्‍ली में यमुना रिवरफ्रंट से अयोध्‍या, टेहरी, श्रीनगर (उत्‍तराखंड), चंडीगढ़, इसके साथ ही पंजाब और हिमाचल प्रदेश के कई पर्यटन स्‍थल, मुंबई से शिरडी, लोनावला, गणपति पुल, सूरत से द्वारका, मांडवी और कांडला, खिंडसी डैम, नागपुर और इराई डेम, चंद्रपुर (महाराष्‍ट्र) और के नाम शामिल हैं

सीप्लेन क्या है

सीप्लेन को उड़ान भरने के लिए रनवे की जरूरत नहीं होती और यह जहाज पानी से भी टेक ऑफ और लैंडिंग कर सकता है |

इन्हें तैरने वाला वायुयान या समुद्री वायुयान भी कहा जाता है।

भारत में पहले से चल रही सीप्लेन विमान

अहमदाबाद में केवडिया और साबरमती रिवरफ्रंट के बीच समुद्री विमान सेवा पहले से ही प्रचालन में है। इसका उद्घाटन 31 अक्टूबर, 2019 को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया गया था।

यह स्पाइस जेट की सहायक कंपनी स्पाइस शटल द्वारा संचालित है।

सीप्लेन सर्विसेज की आवश्यकता

सीप्‍लेन सेवा के द्वारा देश में तेज़ी से और बिना किसी रुकावट के आवागमन की सुविधा प्राप्त होगी |

सीप्‍लेन परिचालन के लिये पारंपरिक रनवे तथा टर्मिनल इमारतों जैसी अवसंरचना की जरूरत नहीं पड़ेगी ।

बहुत से दूरस्‍थ/धार्मिक/पर्यटक स्‍थलों को हवाई मार्ग से जोड़ने के अलावा यह घरेलू और अंतर्राष्‍ट्रीय स्तर पर पर्यटन अवसरों को बढ़ाएगी।

परिचालन स्‍थलों पर अवसंरचना में वृद्धि करने के साथ-साथ यह न सिर्फ पर्यटन को बहुत अधिक बढ़ावा देगी बल्कि इससे व्‍यावसायिक गति‍विधियां भी बढ़ेंगी।


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