वर्ष 2020 में कोविड महामारी के बाद वर्ष 2021 में भारत और पूरा विश्व, K-आकार की आर्थिक बहाली की संभावनाओं को व्यक्त कर रहे हैं।
K-shaped के बारें में
K-shaped की रिकवरी मंदी के बाद, अर्थव्यवस्था के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग दर से तथा अलग-अलग समय में होने वाला परिणाम है।
K-shaped आर्थिक रिकवरी को दर्शाता है, जिसमें अर्थव्यवस्था के विभिन्न हिस्सों का प्रदर्शन K-आकार की ग्राफ की तरह होता है ।
इसके अंतर्गत अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रें, उद्योगों और समूहों का आर्थिक प्रदर्शन पहले की अपेक्षा भिन्न होता है, जिसमें अर्थव्यवस्था के कुछ हिस्सों में अत्यधिक वृद्धि हो सकती है जबकि अन्य में गिरावट होती है।
अर्थशास्त्रियों के अनुसार जब कोराना के प्रभाव से अर्थव्यवस्था उभरेगी तो वो k-shaped से रिकवरी करेगी, अर्थात कुछ सेक्टर का विकास दर अत्यधिक होगा तथा कुछ सेक्टर लगभग खत्म होने की कगार पर आ जाएगें। इससे देश में अमीर और गरीब के बीच बहुत बड़ी खाई पैदा होने की संभावना है।
उदाहरण के रूप में देखे तों ऑनलाइन सेक्टर जैसे-साँफ्रटवेयर बनाने वाली कंपनी या E-मार्केट कंपनी, जो ऑनलाइन अपने ग्राहकों को सेवा दे सकती है, उनका काम पहले से ज्यादा होगा तथा वो सेक्टर अत्यधिक ग्रोथ करेंगें और इसके विपरीत रिक्शा चलाने वाले, रेहड़ी लगाने वाले और अनियोजित कर्मचारी जिनका काम ऑनलाइन संभव ही नहीं है, वो सेक्टर ग्रोथ नहीं कर पाएगें।
U.V.L. और Z shaped के बारें में
U-shaped से रिकवरी का अर्थ होता है कि अर्थव्यवस्था नीचे जाती है तथा उसके बाद कुछ समय तक नीचे रहते हुए थोड़ी रिकवरी के साथ तेजी से रिकवरी करती है।
V-shaped से रिकवरी जिसका मतलब होता है कि अर्थव्यवस्था अचानक से किसी आपदा के कारण नीचे जाती है। उसके बाद उतनी ही तेजी से वापस उभरती है।
L-shaped में अर्थव्यवस्था की रिकवरी को सबसे बुरा माना जाता है, जिसमें अर्थव्यवस्था नीचे जाती है, उसके बाद कितने समय बाद रिकवरी कर पाएगी इसके बारें में कुछ कहा नहीं जा सकता है।
Z-shaped की रिकवरी आशावादी होती है जिसमें अर्थव्यवस्था में गिरावट के बाद तेजी से वृद्धि देखी जाती है। इसमें मंदी के बाद तेजी से खरीददारीं के द्वारा बाजार सामान्य होने की आशा रहती है।
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