हाल ही में पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने भारत, बांग्लादेश, भूटान, नेपाल और श्रीलंका जैसे दक्षिण एशियाई देशों के लिए
अचानक आनेवाली बाढ़ से जुड़ी अपनी तरह की पहली मार्गदर्शन सेवाओं की शुरुआत की।यह प्रणाली
दक्षिण एशियाई देशों के लिए अपनी तरह की पहली प्रणाली है, जो 6-24 घंटे पहले बाढ़
की चेतावनी के लिए अलर्ट जारी कर सकती है।
फ्लैश फ्लड या आकस्मिक बाढ़, तीव्र उफान एवं अल्प अवधि के साथ अचानक आने वाली बाढ़ को
कहा जाता है। फ्लैश फ्लड स्थानीयकृत घटनाएं होती हैं।बादल फटने, तटबंध टूटने या पहाड़ों में हुई अत्यधिक बरसात से फ्लैश फ्लड की स्थितिया बनती है।आमतौर पर ऐसी बाढ़ की
तीव्रता बेहद ज्यादा होती है और बारिश के बाद बाढ़ के उच्च स्तर पर आने के बीच छह
घंटे से भी कम अंतराल होता है।यह बाढ़ बेहद सीमित क्षेत्र में अचानक बहुत ज्यादा
बारिश हो जाने और पानी के निकास की उचित व्यवस्था न होने के कारण आती है।
फ्लैश फ्लड (Flash Flood) से जुड़ी मार्गदर्शन सेवाएं के बारे में
यह रियल टाइम में 4 किमी x 4 किमी के दायरे में जलस्तर से संबंधित डाटा को उपलब्ध
कराकर, 6-12 घंटे पहले ही
अचानक आने वाली बाढ़ की चेतावनी प्रणाली के साथ आवश्यक सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए
डिज़ाइन की गई है।
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने प्री-ऑपरेशनल मोड में हाल
के मानसून के मौसम के दौरान इस प्रणाली का परीक्षण किया है और इसके सत्यापन के लिए
इस इलाके के राष्ट्रीय जल विज्ञान और मौसम विज्ञान सेवाओं को अचानक आनेवाली बाढ़ से
संबंधित बुलेटिन जारी किए गए थे।
स्थानीय स्तर पर अचानक आनेवाली बाढ़ की संभावित घटनाओं के
बारे में मार्गदर्शन प्रदान करने के लिए इस प्रणाली में विज्ञान, गतिशीलता और निदान से जुड़ी गहरी जानकारियां मौजूद हैं।
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