Date : 17/01/2021 (Reading time : 5  Minutes)
कलेश्वरम लिफ्ट सिंचाई परियोजना

राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने माना है कि पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEF&CC) द्वारा पर्याप्त काम पूरा करने के बाद, कलेश्वरम लिफ्ट सिंचाई परियोजना (KLIP) को पर्यावरणीय मंजूरी प्रदान की गई थी जो कानून का उल्लंघन है।

संबन्धित जानकारी

               ·          एनजीटी का मानना है की पर्याप्त काम होने के बाद दी जाने वाली पर्यावरण मंजूरी कानून का उलंघन है और इसके ज़िम्मेदारी तय की जानी चाहिए तथा उपचारात्मक कार्यवाही की जानी चाहिए।

               ·          इसके लिए एनजीटी ने पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEF&CC) को इस मामले से जुड़े विशेषज्ञ मूल्यांकन समिति (EAC) के सात सदस्यों को लेकर एक विशेषज्ञ कमेटी के गठन के लिए निर्देशित किया है।

               ·          यह विशेषज्ञ समिति बिना पर्यावरण मंजूरी के काम को आगे बढ़ाने के दौरान हुए नुकसान का आंकलन करेगी और आवश्यक उपचारात्मक उपायों की पहचान करेगी।

कालेश्वरम लिफ्ट परियोजना से संबंधित तथ्य

  • गोदावरी नदी पर बनी कालेश्वरम लिफ्ट परियोजना अपने रिकॉर्ड समय में बनने वाली दुनिया की सबसे बड़ी लिफ्ट सिंचाई परियोजनाओं में शामिल हो गयी है।
  • यह परियोजना मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (MEII) और भेल के सहयोग से 82000 करोड़ रुपये की लागत से मात्र तीन साल में तैयार हुई है।
  • इस परियोजना में 20 पंप हाउसों के माध्यम से एक दिन में 3 TMC पानी लिफ्ट करने की योजना है जिसके लिए 120 मशीनें जिसमें हर एक मशीन में एक पंप और एक मोटर स्थापित की गयी है।
  • इस परियोजना में 22 पंप हाउस शामिल है जिसमें 17 पंप हाउसों का निर्माण MEII द्वारा ही किया जा रहा है।
  • इस परियोजना में प्रतिदिन 3 TMC पानी पंप करने के लिए 7152 मेगावाट बिजली की जरूरत होगी, जिसमें पहले चरण में 4992 मेगावाट बिजली का प्रयोग 2 TMC पानी पंप करने के लिए किया जा रहा है।
  • फिलहाल प्रथम चरण में लिंक-1 के तौर पर मेदिगड्डा, अभाराम, सुंडिला पंप हाउसों को पानी पंप करने के लिए आंशिक रूप से तैयार किया जाता रहा है।
  • लिंक-2 में दुनिया का सबसे बड़ा भूमिगत पंप हाउस भी प्रतिदिन 2 TMC पानी लिफ्ट करने के लिए तैयार है।

परियोजना के लाभ

  • तेलंगाना में गोदावरी सहित कई नदियां है फिर भी नदियों के जल का उचित लाभ नहीं मिल पा रहा था, किसान लगातार सूखे का सामना करते हुए आत्महत्या की राह चुन रहे थे।
  • इस संकट से निपटने के लिए गोदावरी नदी के पानी को लिफ्ट करने की एक योजना बनायी गयी।
  • इस परियोजना के माध्यम से तेलंगाना के 13 जिलों को 18 लाख एकड़ जमीन की सिंचाई के अलावा राज्य के पेयजल संकट को भी दूर किया जाएगा।
  • साथ ही महाराष्ट्र और आंध्रप्रदेश के कई जिलों में भी जलसंकट जैसी गंभीर समस्या को दूर किया जा सकता है।

राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी)

           ·          राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण अधिनियम, 2010 द्वारा भारत में एक राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) की स्थापना की गई है।

           ·          यह एक विशेष पर्यावरण अदालत है जो पर्यावरण संरक्षण और वनों का संरक्षण से संबंधित मामलों कि सुनवाई करती है।

           ·          अधिकरण की प्रधान पीठ नई-दिल्ली में और भोपाल, पुणे, कोलकाता और चेन्नई अधिकरण के अन्य चार पीठें हैं।

           ·          इसमें पूर्णकालिक अध्यक्ष के रूप में भारत के सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश या उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश, न्यायिक सदस्य और विशेषज्ञ सदस्य शामिल होते हैं।

           ·          प्रत्येक श्रेणी में निर्धारित न्यायिक और विशेषज्ञ सदस्यों की न्यूनतम संख्या 10 अधिकतम संख्या 20 होती है।


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