Date : 23/01/2021 (Reading time : 5  Minutes)
खेलो इंडिया यूथ गेम्स में चार स्वदेशी खेल शामिल

हाल ही में, खेल मंत्रालय द्वारा मार्शल आर्ट के चार स्वदेशी स्वरूपों- केरल का कलारीपयट्टू , मध्य प्रदेश का मल्लखंब , पंजाब का गका तथा मणिपुर का थांग-ताको खेलो इंडिया यूथ गेम्स  में शामिल किया गया है ।

मुख्य तथ्य

खेलो इंडिया यूथ गेम्स की शुरुआत वर्ष 2018 में 17 वर्ष तथा 21 वर्ष से कम आयु वर्ग के युवाओं के लिए जमीनी स्तर पर एक बहु-विषयक के कार्यक्रम के रूप में की गयी थी।

इस कार्यक्रम से युवा खिलाड़ियों को अपने कौशल को बेहतर करने तथा अपने कौशल का प्रदर्शन करने का मौका मिलता है |

इन खेलों में प्रतिभावान खिलाड़ियों को चिन्हित किया जाता है  तथा प्रत्येक चुने गये खिलाड़ी को 8 वर्षों के लिए 5 लाख  रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है |

 इसका उद्देश्य देश  में खेले जाने वाले सभी खेलों को बढ़ावा देना तथा भारत को एक मज़बूत खेल राष्ट्र के रूप में तैयार करना है।

मल्लखम्ब 

यह जिमनास्टिक का एक पारंपरिक स्वरूप है जिसे लकड़ी के खंभे (शीशम की लकड़ी से निर्मित एवं अरंडी का तेल (कैस्टर ऑयल) से पॉलिश किया जाता है), एक बेंत अथवा रस्सी के साथ प्रदर्शित किया जाता है। मध्य प्रदेश द्वारा वर्ष 2013 में मल्लखंभ को राज्य-खेल घोषित कर दिया गया।

का : यह 15वीं शताब्दी के दौरान पंजाब में विकसित हुई, लकड़ी की लाठियों से लड़ी जानी वाली युद्धकला की एक शैली है। इसके अनुष्ठानिक प्रदर्शन के दौरान प्रदर्शनकर्ता बाना और चोलाधारण करते है |

थांग ता : ह एक मणिपुरी कला का स्वरूप है। इसमें अनुष्ठान, प्रदर्शन और युद्ध कला का संयोजन होता है और इसमें विभिन्न प्रकार के नृत्य और योद्धिक अभ्यास शामिल होते हैं।

कलारिपयट्टू : यह एक मार्शल आर्ट है जिसकी उत्पत्ति केरल में तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व से दूसरी शताब्दी ईस्वी के दौरान एक युद्ध शैली के रूप में हुई थी। कलारी शब्द का सर्वप्रथम उल्लेख संगम साहित्य में मिलता है, जिसमे यह युद्ध के मैदानऔर मुठभेड़ क्षेत्रदोनों को वयक्त करता है। इसे अब तक ज्ञात सबसे पुरानी युद्ध प्रणाली में से एक माना जाता है।


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